Connect with us

उत्तराखण्ड

शोध एवं नवाचार निदेशालय ने सिखाए शोधर्थियों को यात्राओं से शोध टूल किट विकसित करने के गुर



हल्द्वानी,,,शोधार्थियों से साझा किया अस्कोट-आराकोट यात्रा के 40 सालों का परिदृश्य
शोधार्थी के लिए बहुत मह्तवपूर्ण है अस्कोट आराकोट यात्रा- गिरिजा पांडे
यात्राएं केवल सैर सपाटे के लिए नहीं होती अगर आपके पास एक शोधार्थी वाली गहन दृष्टि है, तो आप इन यात्राओं से नया शोध नजरिया व टूल किट विकसित कर सकते हैं ये कहना है उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के शोध एवं नवाचार निदेशालय के निदेशक व समाज विज्ञान विद्याशाखा के निदेशक व इतिहास के प्रोफेसर प्रो. गिरिजा पांडे का। शुक्रवार को विवि के शोध छात्रों को उन्होंने अस्कोट आराकोट यात्रा की स्लाइड शो के जरिये उत्तराखंड की पिछले 50 सालों की यात्रा कराई।
पहाड़ संस्था द्वारा हर दस साल में आयोजित अस्कोट आराकोट यात्रा की इस वर्ष स्वर्ण जयंती है राज्य के अलग अलग हिस्सों में इस यात्रा पर बातचीत कर लोगों को यात्रा में आने के लिए उत्साहित किया जा रहा है। इसी क्रम में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के शोधार्थी व प्राध्यापकों के लिए भी इस यात्रा के जरिये पिछले 40 साल के उत्तराखंड के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय बदलावों को सामने रखा।
उन्होंने कहा कि अगर हम जागरूक हैं तो यात्राओं से हम अपने समाज व भूगोल की गहराई से पड़ताल कर सकते हैं। मनुष्य के प्रकृति पर अनावश्यक हस्तक्षेप ने कैसे पूरी पारिस्थितिकी को बिगाड़ के रख दिया है, उन्होंने बताया कि 40 साल पहले बेहद कम बालिकाएं स्कूलों में दिखती थी लेकिन आज विद्यालय छात्राओं से भरे पडे हैं। सड़कों के किनारे बसे गांव छोटे कस्बों में तब्दील हो गए हैं। राज्य के अर्न्तवर्ती क्षेत्रों में मोबाइल कनेक्टिविटी व सड़कों तक पहुंच अभी भी दूर ही है।
इस अवसर पर शोध निदेशालय के उपनिदेशक डा. प्रवेश कुमार सहगल, डा. एस.एन.ओझा, डा. मंजरी अग्रवाल, डा.शालिनी चौधरी, डा.घनश्याम जोशी, डा. शशांक शुक्ला, डा. दीपांकुर जोशी, शुभांकर शुक्ला, सुमित प्रसाद, संपत्ति नेगी समेत शोधार्थी गणेश जोशी, दीपिका नेगी, भूपेन्द्र सिंह रावत, राजेश जोशी, समेत कई शोधार्थी मौजूद रहे।

Ad Ad Ad Ad Ad
[masterslider id="1"]
Continue Reading
You may also like...

More in उत्तराखण्ड

Trending News

Follow Facebook Page