उत्तराखण्ड
भाजपा की केंद्र और राज्य में सरकारें होने के बावजूद बिन्दुखत्ता राजस्व गांव को लटकाये रखने की मंशा : बहादुर सिंह जंगी
भाजपा की केंद्र और राज्य में सरकारें होने के बावजूद बिन्दुखत्ता राजस्व गांव को लटकाये रखने की मंशा : बहादुर सिंह जंगी
• इधर उधर की बातें करने के बजाय भाजपा विधायक बिन्दुखत्ता की भूमि को डिसफॉरेस्ट कराएं : डॉ कैलाश पांडेय
• बिन्दुखत्ता राजस्व गांव के नाम पर लोगों को भ्रमित कर रही है भाजपा
बिन्दुखत्ता को राजस्व गांव बनाए जाने की मांग पर उत्तराखंड की भाजपा सरकार द्वारा की जा रही वादाखिलाफी और यहां के भाजपा विधायक और सांसद द्वारा मुद्दे को गलत दिशा में ले जाने के खिलाफ अखिल भारतीय किसान महासभा और भाकपा (माले) द्वारा संयुक्त बयान जारी कर राजस्व गांव का प्रस्ताव राज्य मंत्रिमण्डल और उत्तराखंड राज्य विधानसभा से पारित करने की मांग की गई.
अखिल भारतीय किसान महासभा के राज्य उपाध्यक्ष बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि,
“भारतीय जनता पार्टी की उत्तराखंड सरकार एक बार फिर से बिन्दुखत्ता राजस्व गांव के मुद्दे पर जनता को भ्रमित करने का काम कर रही है.” उन्होंने कहा कि, “जनता को भ्रमित करने के बजाय यहां के विधायक और भाजपा सरकार को विधानसभा में बिन्दुखत्ता को डिसफॉरेस्ट करने का प्रस्ताव पारित कर केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजने का काम करना चाहिए. वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति मिलने के बाद ही राजस्व गांव के लिये रास्ता साफ़ होगा. इस समय जब केंद्र और उत्तराखंड राज्य दोनों में भाजपा की प्रचण्ड बहुमत वाली सरकारें हैं तब इस प्रक्रिया में क्या बाधा है? इसके बावजूद राजस्व गांव की प्रक्रिया शुरू न करने का सीधा मतलब है कि भाजपा की बिन्दुखत्ता राजस्व गांव बनाने की नहीं बल्कि लटकाये रखने की मंशा है.”
भाकपा (माले) के नैनीताल जिला सचिव डॉ कैलाश पांडेय ने कहा कि, “यहाँ की जनता ने विधानसभा से बिन्दुखत्ता राजस्व गांव का प्रस्ताव पारित कर बिन्दुखत्ता राजस्व गांव का मार्ग प्रशस्त करने का वादा पूरा कराने के लिये श्री मोहन बिष्ट को लालकुआं विधानसभा से विधायक चुना था. यहां की जनता का आंदोलन और संघर्ष का इतिहास रहा है तभी विपरीत परिस्थितियों के बाद भी यहां लोग संघर्ष के दम पर टिके रहे. इसलिये अपनी मांग पर लड़ने के लिए तो बिन्दुखत्ता की जनता पहले भी सड़कों पर उतरती रही है और आगे भी खुद ही आंदोलन-संघर्ष के रास्ता अपना लेगी. लेकिन विधायक और सांसद का काम राज्य और केंद्र की अपने दल की सरकारों से बिन्दुखत्ता राजस्व गांव की घोषणा करवाने और उसे अमलीजामा पहनाने का है, उन्हें इसी काम पर फोकस करना चाहिए.”
उन्होंने कहा कि,”ऐसी जानकारी प्राप्त हुई है कि स्थानीय विधायक द्वारा की जा रही बैठकों के माध्यम से जनता के बीच ‘राजस्व गांव तो बन नहीं सकता इसलिये नगरपालिका ही ठीक है का माहौल’ बनाया जा रहा है. इसीलिए मीटिंग में आनेवाले लोगों से बार बार पूछा जा रहा है कि आप लोग राजस्व गांव चाहते हो या नगरपालिका. यह पूछने का क्या औचित्य है? जबकि यहां की जनता नगरपालिका को पहले ही पूरी तरह से अस्वीकार कर ऐतिहासिक आंदोलन के माध्यम से वापस भी करा चुकी है. इसका अर्थ साफ़ है कि अपनी पार्टी के पूर्ववर्ती भाजपा विधायक की ही भांति वर्तमान विधायक भी बिन्दुखत्ता राजस्व गांव के सवाल पर यहां की जनता के हित के साथ छल कर रहे हैं और वो भी बड़ी ही चालाकी से राजस्व गांव के बजाय नगरपालिका का पक्षपोषण कर रहे हैं. ये बिल्कुल नहीं चलेगा इसका भाकपा (माले) पुरजोर विरोध करती है, इस छलावे का पर्दाफाश करने के लिए पार्टी जनता के बीच जायेगी.”
दोनों नेताओं ने मांग की कि, “इधर उधर की बातें करने के बजाय यहां के भाजपा विधायक और सांसद अपनी राज्य और केंद्र सरकारों से मुकम्मल प्रस्ताव तैयार करवा कर बिन्दुखत्ता की भूमि को डिसफॉरेस्ट करने की प्रक्रिया शुरू कराएं.”