उत्तराखण्ड
बस्ती बचाओ संघर्ष समिति बनभूलपुरा रजनी जोशी ,,
हल्द्वानी के बहुचर्चित बनभूलपुरा बस्ती बनाम रेलवे के मामले में बस्ती बचाओ संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं पर फर्जी मुकदमे दर्ज किये गये हैं। विगत वर्ष 2 जुलाई को बस्ती बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले अपीलकर्ता रवि शंकर जोशी के पास जाकर ‘बाल आग्रह’ का कार्यक्रम तय किया गया था। जिसकी पूर्व सूचना स्थानीय प्रशासन को दे दी गयी थी। साथ ही समिति के चार व्यक्ति 1 जुलाई को अपीलकर्ता के आवास पर पूर्व सूचना देने गये। जहां अपीलकर्ता के न मिलने पर उनकी माताजी को मामले से अवगत कराया गया। साथ ही माताजी से प्रेमपूर्वक बातचीत कर अपीलकर्ता का फोन नम्बर ले उनसे चर्चा की गयी। इस पर अपीलकर्ता ने कार्यक्रम से आपत्ति दर्ज करायी। साथ ही स्थानीय पुलिस व प्रशासन ने भी कार्यक्रम न करने का आग्रह किया। उनके कहने पर 2 जुलाई के उक्त कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया। इसकी सूचना समय रहते स्थानीय प्रशासन को दे दी गयी।
समिति के सदस्यों ने अपीलकर्ता व प्रशासन के साथ सहयोग ही किया। इसके बावजूद रवि शंकर जोशी ने गलत इरादे से इस मामले की शिकायत उच्च न्यायालय में की। जिस पर उच्च न्यायालय ने स्वतः कोई संज्ञान न ले स्थानीय पुलिस को ही मामले की जांच करने के आदेश दिये। चोरगलिया थाने ने मामले में चारों कार्यकर्ताओं से पूछताछ की साथ ही बस्ती बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक से भी पूछताछ की गयी। जबकि स्थानीय प्रशासन मामले से पूर्व में ही अवगत था। उन्होंने ने भी शिकायत का कोई आधार न होने की बात को स्वीकार किया गया। इसके बावजूद समिति के सदस्यों पर आईपीसी की जमानती-गैरजमानती धाराओं 387, 448, 506, के तहत मामला दर्ज किया गया है।
बस्ती बचाओ संघर्ष समिति इस मामले में सामाजिक और न्यायालयी स्तर पर मामले को बस्ती वासियों के पक्ष में उठा रही थी। साफ है कि यह बस्ती बचाओ संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं को हैरान-परेशान करने के इरादे से की गयी कार्यवाही है।
इस पूरे मामले में शुरूआत से ही इसी तरह की कार्यवाहियां होती रही हैं। जहां शुरूआती अपील के तहत गौला पुल गिरने के कारणों और दोषियों को सजा दिये की जांच होनी थी, वहां मामला रेलवे बनाम बनभूलपुरा बस्ती का बना दिया गया। उसी तरह कहां तो मामले से पूरी तरह अवगत पुलिस ने अपीलकर्ता रवि शंकर जोशी से उनकी शिकायत की सत्यता की जांच करनी चाहिए थी कहां प्रशासन ने समिति के सदस्यों पर फर्जी मुकदमा दर्ज कर दिया।
50,000 लोगों के आवास और जीवन रक्षा की मांग कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं पर लगाये गये फर्जी मुकदमे लगाये जाने का विरोध किया जाए। समिति के कार्यकर्ताओं को परेशान करने की कार्यवाही की सभी जनपक्षधर लोगों ने निंदा करनी चाहिए।