Connect with us

उत्तराखण्ड

शहीद सैनिक विद्यालय में कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (POSH Act) के विषय पर जागरूकता शिविर व कार्यशाला का आयोजन किया गया ।,

पोश अधिनियम के तहत विशेष जागरूकता शिविर*
माननीय राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल के दिशा निर्देशानुसार एवं माननीय जिला न्यायाधीश महोदय /अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल श्री सुबीर कुमार जी के मार्गदर्शन में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल श्रीमती बीनू गुलयानी द्वारा भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय में कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (POSH Act) के विषय पर जागरूकता शिविर व कार्यशाला का आयोजन किया गया । जागरूकता शिविर के प्रारंभ में प्रधानाचार्य बिसन सिंह मेहता द्वारा सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का स्वागत अभिनंदन किया गया तथा सैनिक स्कूल की स्थापना के विषय पर जानकारी साझा की गई तत्पश्चात यशवंत कुमार द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के बारे में छात्रों को जानकारी दी गई,जिसमे सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल द्वारा कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण अधिनियम, 2013) , “यौन उत्पीड़न अधिनियम” के बारे मे विस्तार पूर्ण जानकारी दी गई । जिसमे बताया की सभी संगठनों (निजी क्षेत्र के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र) के लिए यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि काम के दौरान महिलाओं को किसी भी प्रकार के यौन उत्पीड़न से बचाया जाए। इस आशय के लिए, प्रत्येक नियोक्ता या संगठन को अपने कर्मचारियों की यौन उत्पीड़न की शिकायतों की जांच करने और उन्हें दूर करने के लिए एक समिति गठित करना आवश्यक है। अधिनियम एवं नियमों के प्रावधानों के अनुसार, प्रत्येक नियोक्ता को यौन उत्पीड़न की शिकायतों को दूर करने के लिए “आंतरिक शिकायत समिति “(आईसीसी) नाम से एक समिति गठित करना आवश्यक है। कोई भी पीड़ित महिला कर्मचारी जो औपचारिक शिकायत दर्ज कराना चाहती है , वह क्षेत्रीय कार्यालय या मुख्यालय में संबंधित ICC (आंतरिक शिकायत समिति) से संपर्क करके ऐसा कर सकती है।जब कोई व्यक्ति PoSH में शिकायत दर्ज करता है तो आंतरिक शिकायत समिति (ICC) द्वारा जांच की जाती है। यह जांच के दौरान शामिल दोनों पक्षों को अपनी बात रखने का मौका देती है। जांच 90 दिनों के भीतर पूरी हो जानी चाहिए।जागरूकता शिविर एवं कार्यशाला के बाद महिलाओं से प्रश्न उत्तर के माध्यम से भी पॉश एक्ट के बारे मे जानकारी दी गई। तथा किशोर न्याय बोर्ड, 15100 का प्रचार-प्रसार, जमीनी स्तर पर जरूरतमंद लोगों को कानूनी सेवाएं प्रदान करने और सभी कार्यक्रमों (जैसे कानूनी सहायता शिविर, कानूनी जागरूकता कार्यकम, प्रशिक्षण सत्र, सम्मेलन, सेमिनार) व जरूरतमंद व्यक्तियों/वादियों/आम जनता को ऑनलाईन कानूनी सेवाएं प्रदान करने के लिए नालसा ऑनलाईन पोर्टल कानूनी सेवा प्रबंधन प्रणाली (एल०एस०एम०एस०) और उत्तराखण्ड एस०एल०एस०ए०, नैनीताल ऑनलाईन पोर्टल, कानूनी सहायता सूचना प्रणाली (एल०ए०आई०एस०) का व्यापक प्रचार प्रसार के सम्बन्ध में
जागरूकता शिविर व कार्यशाला में प्रधानाचार्य बिसन सिह मेहता,समस्त महिला अध्यापक, छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।।

Ad
Continue Reading
You may also like...

More in उत्तराखण्ड

  • उत्तराखण्ड

    समाजसेवी जौलजीबी धारचूला शकुंतला दताल द्वारा जिलाधिकारी विनोद गोस्वामी से भेंटकर, घस्कु से कुरीला मोटर मार्ग निर्माण किए जाने हेतु ज्ञापन माननीय मुख्यमंत्री जी को प्रेषित गया,

    By

    ,पिथौरागढ़, माननीय मुख्यमंत्री जी को जिलाधिकारी विनोद गोस्वामी के माध्यम से घस्कु से कुरीला मोटर मार्ग...

  • उत्तराखण्ड

    भक्ति का सुगंध बिखेरते हुए 58वें निरंकारी सन्त समागम का सफलतापूर्वक समापन

    By

    जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक उपलब्धियों में नहीं बल्कि आत्मिक उन्नति में निहित है सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज हल्द्वानी ‘‘जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक उपलब्धियों में नहीं बल्कि आत्मिक उन्नति में निहित है।’ये उद्गार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने महाराष्ट्र के 58वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम के तीसरे एवं समापन दिवस पर लाखों की संख्या में उपस्थित मानव परिवार को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। इस तीन दिवसीय समागम का कल रात विधिवत रूप में सफलता पूर्वक समापन हो गया। सतगुरु माता जी ने आगे कहा कि मनुष्य जीवन को इसलिए ऊँचा माना गया है, क्योंकि इस जीवन में आत्मज्ञान प्राप्त करने की क्षमता है। परमात्मा निराकार है, और इस परम सत्य को जानना मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य होना चाहिए। अंत में सतगुरु माता जी ने फरमाया कि जीवन एक वरदान है और इसे परमात्मा के साथ हर पल जुड़कर जीना चाहिए। जीवन के हर पल को सही दिशा में जीने से ही हमें आत्मिक सन्तोष एवं शान्ति मिल सकती है, हम असीम की ओर बढ़ सकते हैं। इसके पूर्व समागम के दूसरे दिन सतगुरु माता जी ने अपने अमृत वचनों में कहा कि जीवन में भक्ति के साथ कर्तव्यों के प्रति जागरुक रहकर संतुलित जीवन जियें यह आवाहन सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने पिंपरी पुणे में आयोजित 58वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम के दूसरे दिन शाम को सत्संग समारोह में विशाल रूप में उपस्थित श्रद्धालुओं को किया। सतगुरु माताजी ने फरमाया कि जैसे एक पक्षी को उड़ने के लिए दोनों पंखों की आवश्यकता होती है, वैसे ही जीवन में भक्ति के साथ साथ अपनी सामाजिक एवं पारिवारिक जिम्मदारियों को निभाना अति आवश्यक है। यदि कोई केवल भक्ति में ही लीन रहते हैं और कर्मक्षेत्र से दूर भागने का प्रयास करते हैं तो जीवन संतुलित बनना सम्भव नहीं। दूसरी तरफ भक्ति या आध्यात्मिकता से किनारा करते हुए केवल भौतिक उपलब्धियों के पीछे भागने से जीवन को पूर्णता प्राप्त नहीं हो सकती। सतगुरु माताजी ने आगे समझाया कि वास्तव में भक्ति और जिम्मेदारियों का निर्वाह का संतुलन तभी सम्भव हो पाता है जब हम जीवन में नेक नीयत, ईश्वर के प्रति निष्काम निरिच्छित प्रेम और समर्पित भाव से सेवा का जज्बा रखें। केवल ब्रह्मज्ञान प्राप्त करना काफी नहीं, बल्कि उसे अपने जीवन में अपनाना भी आवश्यक है। एक उदाहरण के द्वारा सतगुरु माता जी ने समझाया कि जैसे कोई दुकानदार अपने काम को पूरी ईमानदारी और संतुलन के साथ करता है, ग्राहक को मांग के अनुसार सही नापतोल करके माल देता है और उसका उचित मूल्य स्वीकारता है। अपने कार्य में पूरी तरह से संतुलन बनाए रखता है। इसी तरह भक्त परमात्मा से जुड़कर हर कार्य उसके अहसास में करता रहता है, सत्संग सेवा एवं सिमरण को प्राथमिकता देता है, यही वास्तविकता में भक्ति का असली स्वरूप है। इसके पहले आदरणीय निरंकारी राजपिता रमित जी ने अपने विचारों में कहा कि भक्ति का उद्देश्य परमात्मा के साथ एक प्रेमपूर्ण नाता जोड़ने का हो। इसके लिए संतों का जीवन हमारे लिए प्रेरणास्रोत होता है जो हमें अपनी आत्मा का मूल स्वरूप परमात्मा को जानकर जीवन का विस्तार असीम सच्चाई की ओर बढ़ाने की शिक्षा देता है। आपने बताया कि हमें अपनी आस्था और श्रद्धा को सच्चाई की ओर मोड़ना चाहिए और हर पल कदम में परमात्मा के प्रेम को महसूस करना चाहिए तभी सही मायनो में भक्ति का विस्तार सार्थक होगा। समागम की कुछ झलकियां कवि दरबार             समागम के तीसरे दिन एक बहुभाषी कवि दरबार का आयोजन किया गया जिसमें जिसका विषय था ‘विस्तार – असीम की ओर।’महाराष्ट्र के अतिरिक्त देश के विभिन्न स्थानों से आए हुए 21 कवियों ने मराठी, हिन्दी, अंग्रेजी, कोंकणी, भोजपुरी आदि भाषाओं में इस कवि दरबार में काव्य पाठ करते हुए मिशन के दिव्य सन्देश को प्रसारित किया। श्रोताओं द्वारा कवियों की भूरि भूरि प्रशंसा की गई।             मुख्य कवि दरबार के अतिरिक्त समागम के पहले दिन बाल कवि दरबार एवं दूसरे दिन महिला कवि दरबार का आयोजन लघु रूप में किया गया। इन दोनों लघु कवि दरबार कार्यक्रमों में मराठी, हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषाओं के माध्यम से 6 बाल कवि एवं 6 महिला कवियों ने काव्य पाठ किया जिसकी श्रोताओं द्वारा अत्यधिक प्रशंसा की गई।  निरंकारी प्रदर्शनी...

  • उत्तराखण्ड

    विशाल वर्मा बने अखिल एकता उद्योग व्व्यापार मण्डल के जिला अध्यक्ष और हर्षित तिवारी जिला प्रभारी,

    By

    हल्द्वानी आज अखिल एकता उद्योग व्यापार मण्डल के यशस्वी प्रदेश अध्यक्ष जी अनुज कांत अग्रवाल जी...

  • उत्तराखण्ड

    स्वतंत्र भारत के इतिहास में उत्तराखण्ड यू.सी.सी लागू करने वाला बना देश का पहला राज्य।,

    By

    मुख्यमंत्री ने किया समान नागरिक संहिता की अधिसूचना का अनावरण। यूसीसी पोर्टल ucc.uk.gov.in का भी किया...

Trending News

Follow Facebook Page