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मोदी सरकार ने देश की सेना में ठेका प्रथा लागू करके देश की सुरक्षा और सैनिकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का बेहद बेशर्मी वाला काम किया है।

छात्र संगठन आॅल इंडिया स्टूडेण्ट्स एसोसिएशन(आइसा) ने आज शहीद स्मारक पर धरना देते हुए सेना में ‘अग्निपथ‘ योजना को वापस लेने की मांग राष्ट्रपति महोदय से ज्ञापन के माध्यम से की।
इस दौरान सम्बोधित करते हुए आइसा के संयोजक धीरज कुमार ने कहा कि मोदी सरकार ने अचानक से आर्मी के ढांचे, संरचना व भर्ती व्यवस्था में बदलाव करके देश सेवा की चाह रखने वाले नौजवानों के भविष्य व देश की सुरक्षा दोनों को खतरे में डाल दिया है। देश की सबसे प्रतिष्ठित और दूसरे नम्बर पर भर्ती-रोजगार देने वाली सेना की नौकरियांे में ठेका प्रथा से युवाओं के देश के प्रति सेवा के जज्बे में कमी आना स्वाभाविक है। जिससे देश की सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है। मोदी सरकार ने देश की सेना में ठेका प्रथा लागू करके देश की सुरक्षा और सैनिकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का बेहद बेशर्मी वाला काम किया है। जिसके खिलाफ पूरे देश में युवाओं का गुस्सा फूट पड़ा है। मोदी सरकार, उद्योगपति, मीडिया वाले अग्निपथ योजना के रोज नये-नये फायदे गिनाकर युवाओं को भ्रमित कर रहे हैं। कुछ लोग जो आर्मी में 18 साल की नौकरी के बाद पेंशन ले रहे हैं वे भी अगली पीढी के युवाओं को इस ठेका प्रथा में दिये जाने का बेशर्मी से समर्थन कर रहे हैं। पूर्व जनरल वी.के. सिंह जो आर्मी में जनरल रहने के लालच में रिटायरमेंट के बाद भी अपनी नौकरी बढ़ाने के लिए कोर्ट चले गये थे। सरकार व न्यूज चैनलों में बैठे लोग जो सरकार का पक्ष ले रहे हैं जनता को बता रहे हैं कि नयी योजना से रोजगार बढ़ेगा। जबकि हकीकत यह है कि रोजगार घटेगा। कोरोना काल से पहले हर साल औसतन 55 हजार सैनिक भर्ती हुई थी। लेकिन नयी योजना के तहत 46 हजार सैनिक ही आर्मी, एयर फोर्स, नेवी में भर्ती होंगे। उनमें भी सिर्फ 11500 (25ः) ही पक्की नौकरी कर पायेंगे। पक्की नौकरी पाने में भी भ्रष्टाचार व सोर्स का ही सहारा लिया जायेगा। देश में पक्की व सुरक्षित नौकरियों के मामले में आज बेरोजगारी सबसे ज्यादा फैल चुकी है। बेरोजगारी के कारण रोज आत्महत्याओं की घटनाएं सामने आ रही हैं।

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आइसा के मनोज जोशी ने कहा कि मोदी सरकार युवाओं के भविष्य को उस खतरे में धकेल दिया है। पहले सरकारी विभागांे में फिर बैंक, बीमा, रेल, एयरपोर्ट, फौज के लिए हथियार बनाने वाली सरकारी फैक्ट्रियों का निजीकरण करके पक्की नौकरी खत्म कर दी। देश के बु़िद्धजीवी इस बात की आशंका जता रहे थे कि देश व समाज की सुरक्षा करने वाली फौज-पुलिस की नौकरियों में भी कहीं मोदी सरकार ठेका प्रथा लागू न कर दे। और उनका यह शक 14 जून 2022 को सही साबित हो गया। जब मोदी सरकार ने आर्मी की जल-थल-नौसेना में ठेका प्रथा में 4 साल की भर्ती कराने की घोषणा कर ठेके पर कर दी। इसे टूर आॅफ ड्यूटी(ज्वक्) कहते हुए ‘अग्निपथ‘ योजना का नाम दे दिया। अभी तक आर्मी जैसी सम्मानजनक नौकरी में 18 साल बिताने के बाद एक फौजी की आर्थिक स्थिति बेहतर हो जाती थी। कितनी विडम्बना की बात है कि आर्मी जैसी देश सेवा की नौकरी में सिर्फ 4 साल सेवा देने के बाद घर भेज दिया जायगा। उसके बाद प्राइवेट कम्पनियों में कम वेतन पर सुरक्षा गार्ड की नौकरी करने पर मजबूर होना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि ठेका प्रथा में न तो अच्छा वेतन मिलता है न ही भत्ते, पेंशन व अन्य सामाजिक सुरक्षा। शोषण होता है वो अलग। 4 साल के ठेके पर भर्ती कर सरकार फौजियों की दी जाने वाली वेतन, भत्तों, पेंशन में कटौती करना चाहती है और सेना में भी पक्की नौकरियों में भारी कमी करना चाहती है। देश में पक्की व सुरक्षित नौकरियों के मामले में आज बेरोजगारी सबसे ज्यादा फैल चुकी है। बेरोजगारी के कारण रोज आत्महत्याओं की घटनाएं सामने आ रही हैं।

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इस दौरान समर्थन देने पहँुचे भाकपा(माले) जिला सचिव कैलाश पाण्डेय ने कहा कि ं देश की सबसे प्रतिष्ठित और दूसरे नम्बर पर भर्ती-रोजगार देने वाली सेना की नौकरियांे में ठेका प्रथा से युवाओं के देश के प्रति सेवा के जज्बे में कमी आना स्वाभाविक है। जिससे देश की सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है। मोदी सरकार ने देश की सेना में ठेका प्रथा लागू करके देश की सुरक्षा और सैनिकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का बेहद बेशर्मी वाला काम किया है। जिसके खिलाफ पूरे देश में युवाओं का गुस्सा फूट पड़ा है। मोदी सरकार, उद्योगपति, मीडिया वाले अग्निपथ योजना के रोज नये-नये फायदे गिनाकर युवाओं को भ्रमित कर रहे हैं।
पहले आर्मी में भर्ती होने पर गाँव वालों की नजर में सम्मान की नजर से देखा जाता था। अब 4 साल में रिटायर होकर अपमान की नजर से देखा जायेगा क्योंकि वह उन 25 प्रतिशत में शामिल नहीं होंगे जो स्थायी होने का टेस्ट पास कर चुके होंगे। 25 प्रतिशत में जगह पाने की वजह से स्थायी नियुक्तियों मे भ्रष्टाचार की सम्भावनाएं और मजबूत हो जायंगी। पहले ‘‘वन रैंक वन पेंशन‘‘ पर सरकार ने धोखा दिया अब ‘‘नो रैंक नो पेंशन‘‘ हो गयी है। सरकार के पास चुनाव व अपनी योजनाओं का प्रचार करने, काॅरेपोरेट का कर्ज सरकारी कोष से चुकाने के लिए तो खुब पैसा है। लेकिन रोजगार देने के लिए पैसा नही है। इसलिए पूरे देश की ऐतिहासिक धरोहरों, संस्थानों, सरकारी कम्पनियों, सरकारी नौकरियों को ठेके पर बेच देना चाहती है। सरकार ने कोरोना के 2 साल अपने लिए ‘आपदा में अवसर‘ और युवाओं के लिए ‘आपदा में विपदा‘ के रूप में इस्तेमाल किये। पहले तो आर्मी की भर्ती नहीं करायी और करायी भी तो अधूरी। हजारों छात्र लिखित परीक्षा का इंतेजार करते और सैकड़ों छात्र रिजल्ट का इंतजार करते करते मायूस हो चुके थे। और अचानक से सरकार ने अग्निपथ योजना लागू करते ही ऐसे हजारों अभ्यर्थियों के पेट पर लात मार दी है। सरकार ने इस योजना को संसद में बिना बहस कराये ही चुपके से लागू कर दिया। देशभर में उग्र आंदोलन की जिम्मेदार मोदी सरकार व उसकी नयी अग्निपथ योजना ही है। इस योजना के खिलाफ संघर्ष को और ज्यादा मजबूत करने की जरूरत है।
धरने में मनोज जोशी, रवि जग्गी, मोहित सिंह, नीरज कुमार, मनोज सिंह, अनिल, धीरज सिंह, खीम मेहरा, सविता सिंह, विक्की सिंह, कमल जोशी, प्रमोद कुमार, करन, नैन सिंह कोरंगा, ललित मटियाली, विमला रौथाण, लक्की सिंह आदि लोग मौजूद थे। कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे तहसीलदार महोदय ने ज्ञापन प्राप्त किया

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