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उत्तराखण्ड

जिलाधिकारी रीना जोशी ने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों ने कृषि तकनीक के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है

बागेश्वर

कृषि विज्ञान केंद्र काफलीगैर की वैज्ञानिक सलाहकार समिति की 14वीं बैठक लेते हुए जिलाधिकारी रीना जोशी ने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों ने कृषि तकनीक के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आज कृषि एवं उससे जुडे क्षेत्रों हेतु पर्याप्त तकनीकि उपलब्ध है, मगर शोध एवं तकनीकि की अभी भी अपार संभावनायें है। तकनीकि को कास्तकारों तक हस्तांतरण अत्यंत चुनौतीपूर्ण है, पर्वतीय क्षेत्रों में यह और भी कठिन हो जाता हैं, लेकिन आज के कास्तकार धीरे-धीरे तकनीकि को समझ रहें है व परंपरागत कृषि के साथ ही तकनीकि व जैविक खेती को अपना रहे है, जो किसानों के लिए लाभप्रद हो रही है। उन्होंने कहा कि हमें भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के साथ समन्वय बनाकर समेकित खेती कर किसानों को आत्मनिर्भर बनाना है।
उन्होंने कहा कि कास्तकार उत्पादन के साथ ही उसमें वैल्यू एडिशन कर अपनी आर्थिकी मजबूत करें। उन्होंने जनपद में अधिक मात्रा में उत्पादित गोला नाशपाति से जैम, जैली एवं वायन बनाने हेतु भी वैज्ञानिकों को पूरा प्रोजेक्ट बनाने के निर्देश दियें, ताकि जनपद के कास्तकारों को नाशपाती को उचित मूल्य मिल सकें। उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र व कृषि, उद्यान, पशुपालन एवं मत्स्य पालन अधिकारियों को आपसी समन्वय करते हुए नयें तकनीकियों का कास्तकारों को प्रशिक्षण देने के निर्देश दियें। बैठक के उपरांत जिलाधिकारी द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में पौधारोपण किया व पालीहाउस का निरीक्षण किया।

मुख्य विकास अधिकारी संजय सिंह ने कहा कि कृषि, उद्यान, पशुपालन एवं मत्स्य पालन अधिकारी कृषि विज्ञान केंद्र की शोध एवं तकनीक का अधिक से अधिक कास्तकारों को जानकारी देते हुए उपयोग करायें। उन्होंने कहा कि कृषकों को जो भी यंत्र/उपकरण दियें जाते है तो उन्हें उस कृषि यंत्र उपयोग का प्रशिक्षण भी अवश्य दिया जाए। उन्होंने कहा जनपद के किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र का भ्रमण कराकर तकनीकि जानकारी एवं विभिन्न प्रकार की सब्जियों एवं फसलों संबंधित अग्रिम पंक्ति प्रदर्शनों का भी अवलोकन कराया जाए। 

निदेशक विवेकानंद कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोंड़ा लक्ष्मीकांत ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र ने कृषकों को उन्नत तकनीकि, जैविक कृषि एवं बागवानी से जोडकर उनकी आय बढाने का प्रयास किया गया है। हम सभी को मिलकर कृषि विकास क्षेत्र में कार्य करना होगा व कृषकों को जागरूक कर उनमें रूचि पैदा करनी होगी। उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र कृषकों को कोई भी तकनीकि सहायता, जानकारियां देने हेतु किसानों के साथ हैं। उन्होंने वैज्ञानिक व समेकित खेती करने पर बल दिया। 

कृषि विज्ञान केंद्र प्रभारी डॉ0 कमल पांडे ने केंद्र की गत वर्ष के क्रियाकलापों पर प्रकाश डालते हुए वर्ष 2022-23 के कार्यो पर विचार विमर्श कर अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किया। इस वर्ष केंद्र द्वारा शोध के साथ उद्यान में 16, गृह विज्ञान में 12, पादप सुरक्षा में 18, पशुपालन में 06 तथा फसल उत्पादन में 09 कुल 61 प्रशिक्षण प्रस्तावित कियें, जिसमें 1220 कास्तकारों को प्रशिक्षण दिया जायेगा, जिसकों सलाहकार समिति द्वारा अनुमोदन किया गया।

बैठक में नोडल अधिकारी कृषि विज्ञान केंद्र डॉ0 जयदीप कुमार बिष्ट, मुख्य कृषि अधिकारी एसएस वर्मा, जिला उद्यान अधिकारी आरके सिंह, मुख्य पशुचिकित्साधिकारी डॉ0 आर चन्द्रा, जिला मत्स्य अधिकारी मनोज मियान, वरिष्ठ निरीक्षण दुग्ध डीपी यादव, डॉ0 हरीश जोशी, डॉ0 नवल किशोर, डॉ0 शेर सिंह, डॉ0 वीके मिश्रा, हरीश जोशी, निधि सिंह, एमपी सिंह सहित प्रगतिशील कृषक चन्द्रशेखक पांडे, केशर सिंह भरडा, मीना रौतेला, मोहनी देवी समेत अनके कास्तकार मौजूद थे।

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