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अब्दुल रऊफ सिद्दीकी की 25वीं पुण्यतिथि संकल्प दिवस एवं एकता दिवस के रूप मे मनाई गई।,,

सपा नेता शहीद अब्दुल रऊफ सिद्दीकी की 25वीं पुण्यतिथि के मौके पर उनके चाहने वाले सैकड़ो लोग सपा उत्तराखण्ड प्रभारी अब्दुल मतीन सिद्दीकी के कार्यालय ला० नं० 17 आज़ाद नगर हल्द्वानी पर एकत्रित हुए। जहां पर शहीद अब्दुल रऊफ सिद्दीकी की 25वीं पुण्यतिथि संकल्प दिवस एवं एकता दिवस के रूप मे मनाई गई। सर्वप्रथम शहीद अब्दुल रऊफ सिद्दीकी के बड़े भाई सपा उत्तराखण्ड प्रभारी अब्दुल मतीन सिद्दीकी ने उनके चित्र पर अपने तमाम साथियों के साथ माल्यार्पण की एवं सभी अन्य साथियों ने पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की। तदउपरान्त एक शोक सभा का आयोजन किया गया।शोक सभा को समभोधित करते हुये सपा उत्तराखण्ड प्रभारी अब्दुल मतीन सिद्दीकी ने कहा कि आज से 25 वर्ष पूर्व आज ही के दिन कुछ असामाजिक तत्वों के क्रूर हाथो ने भाई अब्दुल रऊफ सिद्दीकी की लखनऊ जाते हुये ग्राम जाधवपुर थाना भोजपुरा के अन्तर्गत उनकी कार पर अन्धा-धुन गोलियां चलाकर उनकी हत्या कर दी थी। जिसमे उनके साथी ठाकुर चन्द्र मोहन सिंह एवं दो पुलिस गनर गोलिया लगने से बुरी तरह घायल हो गये थे। तब उनके साथ त्रिलोक बनौली ने बड़े साहस का परिचय देते हुये सभी लोगो को अस्पताल पहुंचाया। जहां से भाई अब्दुल रऊफ सिद्दीकी हम सब लोगो को छोड़कर इस जहां से अलविदा कह गये। वह दर्दनाक मंजर आज भी लोगो के ज़हनो में ज़िन्दा है। उन असमाजिक तत्वो ने दुनियावी एतेबार से भले ही हम से भाई अब्दुल रऊफ सिद्दीकी को छीन लिया हो लेकिन आज भी भाई अब्दुल रऊफ सिद्दीकी हज़ारो नही लाखो लोगो के दिलो मे जिन्दा है । जब भी भाई अब्दुल रऊफ सिद्दीकी का कही भी जिक्र आता है, चाहे वह किसी भी धर्म या समाज के लोग हो उनकी आंखे भर आती है। इतनी कम उम्र में उन्होने लोगो के दिलो में जो जगह बनाई थी. ऐसी शख्सियत शायद सदियो में एक आद ही पैदा होती है। खासतौर से गरीबगुरबा तो उन्हें अपना मसीहा ही मानते थे। लेकिन उन्होने अपने जीते-जी कभी भी किसी पर कोई अन्याय नहीं होने दिया, चाहे वह किसी भी वर्ग या धर्म का हो। अब्दुल रऊफ सिद्दीकी ने हमेशा आपसी भाईचारे को बढ़ावा दिया और यही वजह है कि उनकी अंतिम यात्रा मे समाज का कोई भी वर्ग या धर्म की महिलाए, बच्चे, बूढ़े, जवान सभी की आंखो मे आंसू ही नही बिलख कर रो रहे थे। श्री सिद्दीकी ने कहा कि आज विशेष रूप से जो युवा राजनीती कर रहे है, उनमे अधिकांश लोग भाई अब्दुल रऊफ सिद्दीकी से ही प्रेरित है। श्री अब्दुल मतीन सिद्दीकी ने कहा कि भाई अब्दुल रऊफ सिद्दीकी को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम सब लोग जो आज देश कि राजनीति में आपसी घृणा का महौल पैदा कर दिया गया है, इसे समाप्त करने का प्रयास करें और जो आज से 25 वर्ष पूर्व हमारा क्षेत्र था, जो एक आपसी भाईचारे का गुलदस्ता था, जिसे हम कहते है, हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई आपस मे है भाई-भाई । उसकी शुरूआत भाई अब्दुल रऊफ सिद्दीकी की पुण्यतिथि से ही होनी चाहिए और जो उनके सपने थे या उनका कार्य था कि वह किसी को भी परेशान नहीं देख सकते थे, हमेशा लोगो की परेशानी दूर करने का प्रयास करते थे। उन्ही के पदचिन्हों पर चलकर हम लोगो को भी जनता की सेवा करनी चाहिए, यही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी। श्रद्धांजलि एवं शोक सभा में मुख्य रूप से त्रिलोक बनौली, जावेद सिद्दीकी, अरशद अय्यूब, रेहान कुरेशी जाहिद बाबा, तारा ठाकुर, शरीफ अहमद अलीम अंसारी, तसकीन अहमद, पप्पू भाई, मारूफ जावेद वकार अहमद, मनसूब सिद्दीकी, उमैर मतीन, इसलाम मिकरानी, समी वारसी रिजवानसईद अहमद, जावेद मिकरानी, उसमान अंसारी, रेहान मलिक, नजीर, फुरकान, जावेद अध्यड, हिना यादव आदि

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